#शनिदेव व हनुमान जी
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श्रावण मास में शिव जलाभिषेक का कारण
श्रावण मास में शिव जलाभिषेक का कारण
इतिहास महत्व और करने योग्य उपाय
पौराणिक कथाओं और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जब समुद्र मंथन से हलाहल धरती पर प्रकट हुआ था और समस्त मानव और अन्य जीव जंतुओं के प्राणों पर संकट घिर आया था तब देवों के देव, महादेव ने सम्पूर्ण सृष्टि को जीवनदान दिया था। उन्होंने हलाहल विष को अपने कंठ में धारण किया था। कहा जाता है की यह घटना सावन के महीने में घटित हुई थी। महादेव के विष पान से उनका शरीर गर्म हो गया था और उन्हें परेशानी हो रही थी। अपने प्रभु को परेशानी में देख समस्त देवताओं ने महादेव पर जल अर्पित किया था और इंद्र देव ने ज़ोरों की वर्षा की थी। तब से यह चलन बन गया और हर वर्ष सावन के महीने में भगवान शिव के शरीर में विष की गर्मी से उत्पन्न हुई ज्वाला को शांत करने के लिए भक्तगण अपने भोलेनाथ पर जलाभिषेक करते हैं।
सावन का पावन महीना अर्थात् शिव की भक्ति व मनचाहा वरदान पाने का सर्वोत्तम समय है। कैलाशपति शिव जी को कंठ में विष होने के कारण शीतलता अत्यन्त प्रिय है, जिससे उन्हें राहत मिलती है। हरियाली और शीतलता होने के कारण भोलेनाथ को सावन का माह अत्यधिक प्रिय है। अब सावन है तो बारिश होना स्वाभाविक है। वर्षा का जल शुद्ध और ताज़ा होता है, इसलिए वर्षा जल से अभिषेक करने का फल भी अधिक है। हम बताने जा रहे हैं दिनों के अनुसार किसका अभिषेक करने से आपकी इच्छा शीघ्र ��र सरलता से पूरी हो जाएगी।
रविवार- शत्रुओं पर विजय
सूर्य देव को समर्पित रविवार के दिन सूर्योदय के समय पूर्व दिशा की ओर वर्षा जल से अर्घ्य दें और श्रीआदित्यहृदयस्तोत्र का पाठ करें। इस उपाय से आपको आपके शत्रुओं पर विजय प्राप्त होगी और आपके घर में सकारात्मकता का संचार होगा।
सोमवार- हर मनोकामना पूर्ण
चंद्र देव को समर्पित दिन सोमवार को शिवलिंग पर द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तुति पढ़ते हुए अभिषेक करने से सच्चे मन से की गई हर प्रार्थना भोलेनाथ पूर्ण करते हैं और मन व परिवार में सुख-शांति का संचार होता है।
मंगलवार- रोग व कष्टों का नाश
मंगलवार को शिवलिंग या हनुमान जी पर शुद्ध तन व पवित्र मन से “ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय नम:” बोलते हुए अभिषेक करने से व्यक्ति के समस्त कष्टों का नाश होता है तथा उसके असाध्य रोग भी समाप्त हो जाते हैं।
बुधवार- सद् बुद्धि एवं शादी-विवाह हेतु
बुद्धि में वृद्धि हेतु या शादी-विवाह में आ रही अड़चन को दूर करने के लिए बुधवार को प्रथम पूज्य गणेश जी का “ॐ गं गणपतये नम:” मंत्र केसाथ अभिषेक करने से शीघ्र लाभ मिलता है। परीक्षा की तैयारी करनी हो या विवाह हेतु अच्छे रिश्ते की कामना हो, गणपति की कृपा से सब निर्विघ्न हो जाता है।
गुरुवार- सुख-समृद्धि की प्राप्ति
बृहस्पति देव को समर्पित दिन गुरुवार या एकादशी को वर्षा जल से श्री विष्णु जी का अभिषेक करना चाहिए और श्रीविष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिये। जिससे श्री हरि प्रसन्न होकर व्यक्ति को सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं।
शुक्रवार- धन-धान्य की वर्षा
सावन में शुक्रवार के दिन माता लक्ष्मी का भाव पूर्वक लक्ष्मी मंत्र के साथ अभिषेक करने उनकी कृपा से आपके पास शीघ्र ही धन लक्ष्मी का शुभागमन होता है। अभिषेक करने वाले भक्त के ऊपर माँ लक्ष्मी की कृपा से धन की वर्षा होती है।
शनिवार- वाद-विवाद में सफलता
कर्मफल दाता शनिदेव को समर्पित शनिवार के दिन प्रात: पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाने व महादेव का अभिषेक और शाम को शनिदेव का तेल और वर्षा जल से अभिषेक करने से क़ानूनी मामलों, वाद-विवाद व नौकरी में सफलता मिलती है। रुके हुए काम बनने शुरू हो जाते हैं। पीपल पर जल चढ़ाते समय “ॐ नमो भगवते शनैश्चराय” मंत्र का ग्यारह बार जप करना चाहिए।
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शनिदेव को तेल चढ़ाने का कारण, महत्व एवं सही तरीका क्या है? जानें।
धार्मिक कथाओं की मान्यताओं के अनुसार शनिदेव को कर्मफल दाता कहा जाता है। शनिदेव व्यक्ति के कर्मों के अनुसार फल देते हैं। शनिदेव की जिन पर कृपा होती है वह व्यक्ति का का जीवन संवर जाता है। वही जिनकी राशि में शनिदेव साढ़े साती या ढैय्या की स्थिति में होते है, उन्हें जीवन में बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है। किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए उन्हें कठोर परिश्रम करना पड़ता है। ऐसे में शनिदेव की कृपा पाने के लिए प्रत्येक शनिवार शनिदेव को तेल चढ़ाया जाता है। इस लेख में जानें की शनिदेव को तेल क्यों चढ़ाया जाता है।
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जानें शनिदेव को तेल चढ़ाने की परंपरा कैसे शुरू हुई?
रामायण काल में एक समय शनिदेव को अपने बल और पराक्रम पर घमंड हो गया था। उस काल में हनुमान जी के बल और पराक्रम की कीर्ति चारों दिशाओं में फैली हुई थी। जब शनिदेव को हनुमान जी के संबंध में जानकारी प्राप्त हुई तो शनिदेव हनुमान जी से युद्ध करने के लिए निकल पड़े। उस समय हनुमान जी सीता माता की खोज के लिए बनाए गए रामसेतु पर ��पने स्वामी श्रीराम की भक्ति में लीन बैठे थे, तभी वहां शनिदेव आए और उन्होंने हनुमान जी को युद्ध का आवाहन दिया।
युद्ध का आवाहन सुनकर हनुमानजी ने शनिदेव से कहा के वे अभी अपने आराध्य श्री राम की साधना कर रहे है। आप इसमें विघ्न ना करें। लेकिन शनिदेव ने हनुमान जी का कहा नहीं माने और पुनः युद्ध का आवाहन देने लगे। इस प्रकार हनुमान जी भी युद्ध के लिए विवश हो गए। फिर दोनों के बीच घमासान युद्ध हुआ। हनुमानजी ने शनिदेव को अपनी पूंछ से जकड़ लिया। शनिदेव अत्यंत शक्ति प्रदर्शन के बाद भी अपने आप को हनुमान जी की पकड़ से छुड़ा नहीं पाए। हनुमान जी ने फिर राम सेतु पर परिक्रमा करते हुए, शनिदेव को पटकना शुरू कर दिया। पत्थरों की मार से शनिदेव लहूलुहान हो गए। और इस प्रकार हनुमान जी ने शनिदेव को परास्त कर दिया।
हनुमान जी द्वारा किए गए प्रहारों से शनिदेव के पूरे शरीर में भयंकर पीड़ा हो रही थी। इस पीड़ा को दूर करने के लिए हनुमानजी ने शनिदेव को तेल दिया। इस तेल को लगाते ही शनिदेव की समस्त पीड़ा दूर हो गई। तभी से शनिदेव को तेल चढाने की परंपरा आरम्भ हुई। इसीलिए ऐसी मान्यता है की शनिदेव को तेल चढ़ाने से उनकी पीड़ा शांत हो जाती हैं और वे प्रसन्न हो जाते हैं। शनिदेव पर जो भी व्यक्ति तेल चढाता है, उसके जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं और धन प्राप्ति के कार्य आसान हो जाते है।
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शनिदेव को तेल चढ़ाने की विधि
शनिदेव को सरसों का तेल चढ़ाना उत्तम होता है। शनिदेव की प्रतिमा को तेल चढ़ाने से पहले तेल में अपना चेहरा अवश्य देखें। ऐसा करने पर शनि के दोषों से मुक्ति मिलती है। धन व स्वास्थ्य संबंधी कार्यों में आ रही रुकावटें दूर हो जाती हैं और सुख-समृद्धि बनी रहती है। तेल चढ़ाते वक्त का ध्यान रखें की आप शनिदेव के सामने ना खड़े हो। ऐसे जगह पर खड़े हो कर तेल चढ़ाए कि शनि देव की सीढ़ी दृष्टि आप पर ना पड़े।
शनिदेव पर तेल चढ़ाने की वैज्ञानिक मान्यता
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हमारे शरीर के सभी अंगों में अलग-अलग ग्रहों का वास होता है। हमारे शरीर के प्रत्येक अंग के कारक ग्रह अलग-अलग हैं। शनिदेव त्वचा, दांत, कान, हड्डियां और घुटनों के कारक ग्रह हैं। यदि आपकी कुंडली में शनि अशुभ हो तो आपको इन अंगों से संबंधित परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इन अंगों की विशेष देखभाल के लिए हर शनिवार को सरसों के तेल मालिश करने से आपको फायदा होगा।
शनिदेव की साढ़ेसाती 2022 की जानकारी
इस साल कई ग्रह रा��ि गोचर करने वाले हैं। आपको बता दें कि कर्मफल दाता शनि देव भी 29 अप्रैल 2022 को अपनी स्वराशि कुंभ में गोचर करने वाले हैं। शनि के कुंभ राशि में प्रवेश करते ही धनु राशि के जातकों को साढ़ेसाती से मुक्ति मिल जाएगी एवं इनका अच्छा वक्त शुरू हो जाएगा। करियर में इन्हें खूब तरक्की मिलेगी साथ ही रुके हुए सभी कार्य पूरे होने लगेंगे। लेकिन 12 जुलाई 2022 से शनि वक्री अवस्था में फिर से मकर राशि में गोचर करने लगेंगे और 17 जनवरी 2023 तक इस राशि में रहेंगे। इस अवधि में धनु राशि वाले जातकों पर फिर से शनिदेव की वक्री दशा का प्रभाव पड़ेगा। धनु राशि वालों को शनिदेव के प्रकोप से पूर्ण मुक्ति 17 जनवरी 2023 को मिलेगी।
शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए उपाय
जिन राशियों पर वर्तमान शनिदेव की साढ़ेसाती, ढैय्या या वक्री भाव का प्रभाव चल रहा है वे लोग शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए निम्न उपाय करें।
प्रत्येक शनिवार को शनिदेव के लिए व्रत रखें।
प्रत्येक शनिवार को काले वस्त्र पहनें।
प्रत्येक शनिवार को शनिदेव को सरसों का तेल एवं काली तिल चढ़ाएं।
प्रत्येक शनिवार शनिदेव के मंदिर अवश्य जाएं एवं वहां गरीबों को यथाशक्ति दान अवश्य करें।
गाय को चारा खिलाएं।
हनुमान जी के आराधना करने से भी आपको शनिदेव के प्रकोप से बचने में बहुत लाभ मिलेगा। शनिदेव हनुमान जी के भक्तों को परेशान नहीं करते।
निष्कर्ष।
शनिदेव सबसे बलवान है। वे कर्मफल प्रदाता भी है। आपके अच्छे-बुरे कर्मों का शनिदेव न्यायपूर्वक फल देते है। इसलिए सभी को शनिदेव को प्रसन्न करना चाहिए। अगर आपकी कुंडली में शनिदेव मजबूत स्थिति में हैं, तो आपके जीवन में स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियाँ नहीं होंगी। आपके सारे काम सफल होंगे।
ऑनलाइन ज्योतिष पाठ्यक्रम सीखें। वैदिक ज्योतिष संस्थान (एस्ट्रोलोक) सर्वश्रेष्ठ ज्योतिष पाठ्यक्रम ऑनलाइन प्रदान करता है, जहां आप चिकित्सा ज्योतिष, हस्तरेखा पाठ्यक्रम, अंकशास्त्र पाठ्यक्रम जैसे अन्य पाठ्यक्रम पा सकते हैं। मुफ़्त ऑनलाइन ज्योतिष पाठ्यक्रम के लिए आज ही शामिल हों और चरण दर चरण सीखना शुरू करें। विश्व प्रसिद्ध ज्योतिषी श्री आलोक खंडेलवाल आपको एक पेशेवर ज्योतिषी बनने के लिए मार्गदर्शन करेंगे। ज्योतिष कक्षाओं में ऑनलाइन नामांकन करें।
यह भी पढ़ें:- जानें किन राशियों के जातक जन्म से भाग्यशाली होते है?
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आप सभी को #श्री_शनि_जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ।।
श्री सूर्यपुत्र शनिदेव भगवानजी व प्रभु श्री रामदूत हनुमान जी की कृपा आप सभी पर सदा ही बनीं रहें।।
।। जय श्री राम ।।
।। जय श्री हनुमान ।।
।। जय श्री शनिदेव ।।
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*चैत्र वासन्तिक नवरात्र प्रारंभ* *अप्रैल 2022 में सम्पूर्ण 09 ग्रहों का राशि परिवर्तन होगा।* *प्रताप सागर स्थित श्री पंचदेव हनुमान मंदिर स्थित प्रख्यात नारदीय ज्योतिष परामर्श केन्द्र के संचालक आचार्य जी ने बताया कि* चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से प्रारंभ कर नवमी तक मां जगदंबा माता दुर्गा का नवरात्र नाम से प्रसिद्ध उपासना काल प्रारंभ हो रहा है यह नवरात्रि का महान पर्व 9 दिनों तक चलता है और इसमें माता के 9 रूपों की पूजा- अर्चना की जाती है। इस वर्ष चैत्र नवरात्रि 2 अप्रैल 2022 से शुरू होकर 11 अप्रैल तक चलेगी। अष्टमी 9 अप्रैल को मनाई जाएगी जबकि नवमी 10 अप्रैल को पड़ेगी। विक्रम संवत 2079 में शनि राजा और मंत्री गुरु होंगे ज्योतिष गणना के आधार पर इस संवत्सर में खगोलीय मंत्री परिषद में राजा,मंत्री,5 शुभ ग्रह और 5 पापी ग्रह विराजमान होंगे। इस वर्ष का मंत्री मण्डल के पद इस प्रकार है- राजा-शनि, मंत्री-गुरु,सस्येश-सूर्य,दुर्गेश-बुध,धनेश-शनि,रसेश-मंग���,धान्येश-शुक्र,नीरसेश-शनि,फलेश-बुध,मेघेश-बुध होंगे। साथ ही संवत्सर का निवास कुम्हार का घर एवं समय का वाहन घोड़ा होगा।विक्रम संवत 2079 में राजा शनिदेव और देवगुरु बृहस्पति मंत्री होने से यह संवत्सर साधारण और सामान्य शुभ फलप्रदायक होगा। शनिदेव इस वर्ष न्याय दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। वही मंत्री पद देवगुरु को प्राप्त हुआ है। ऐसे में शुभता और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने में कारगर होंगे। मीन राशि के सूर्य में चैत्र के महीने में ब्राह्मण बालकों का उपनयन अर्थात यज्ञोपवीत संस्कार विशेष शुभ होता है चैत्र में गुरु,शुक्र की एक राशि में युति होने से घी, तेल, तिल,सूत्र का संग्रह से 2 मास में लाभ होगा |मंगल, शुक्र की युति से उत्तम वर्षा का अभाव होगा | गुरुवार को मेष संक्रांति होने से रक्षकों व शासकों की क्षति होगी, दुर्���िक्ष तथा खाद्य पदार्थों के मूल्य सामान्य होगे | *चैत्र नवरात्रि शनिवार 2 अप्रैल 2022 को घटस्थापना का सबसे शुभ एवं उत्तम मुहूर्त* *सुबह घटस्थापना का मुहूर्त 👉* 7 बजकर 37 मिनट से 9 बजकर 5 मिनट तक है। *दोपहर घटस्थापना का अभिजित मुहूर्त 👉* 11 बजकर 51 मिनट से दोपहर 12 बजकर 40 मिनट तक होगा। *दोपहर घटस्थापना का मुहूर्त*👉01 बजकर 50 मिनट से 04 बजकर 45 मिनट तक हैं । *सायंकाल घटस्थापना का मुहूर्त* 👉 6 बजकर 30 मिनट से 7 बजकर 50 मिनट तक है । *रात्रि तन्त्र विधि से घटस्थापना का मुहूर्त*👉 9 बजकर 25 मिनट से 1 बजकर 35 मिनट तक है । *विशेष👉* वैधृति योग में कलश स्थापना निषेध है उक्त योग होने पर अभिजित मुहूर्त मध (at Ahmedabad, India) https://www.instagram.com/p/Cb0Zun3B7go/?utm_medium=tumblr
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Jamshedpur-MLA-Saryu-Rai-Appeal : साकची के विरूपा रोड में हनुमान व शनिदेव मंदिर निर्माण को लेकर विधायक सरयू राय ने विशेष समुदाय के लोगों से की अपील, कहा-मंदिर निर्माण का विरोध न करें, इससे किसी का कोई नुकसान नहीं
Jamshedpur-MLA-Saryu-Rai-Appeal : साकची के विरूपा रोड में हनुमान व शनिदेव मंदिर निर्माण को लेकर विधायक सरयू राय ने विशेष समुदाय के लोगों से की अपील, कहा-मंदिर निर्माण का विरोध न करें, इससे किसी का कोई नुकसान नहीं
जमशेदपुर : जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र के विधायक सरयू राय ने विशेष समुदाय से संबंधित संगठनों के नेताओं से अपील की है कि वे साकची के विरूपा रोड में श्री हनुमान जी और श्री शनिदेव के मंदिर निर्माण का विरोध नहीं करें बल्कि इसके लिये सहयोग कर मंदिर का निर्माण सुनिश्चित करायें. इस स्थान पर मंदिर खड़ा होने से किसी का भी कोई नुक़सान नहीं है. बल्कि वहां ख़ाली पड़े भूखंड का बेहतर इस्तेमाल हो रहा है.…
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बजरंगबली का पंचमुखी रूप :------------ कहते हैं कि बजरंगबली के दर्शन करने मात्र से ही व्यक्ति के सारे दुख दूर हो जाते हैं। घर में आई हर तरह की विपदा को दूर करने के लिए हनुमान जी की प���जा की जाती है या फिर हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता है। यहां तक की शनिदेव के प्रकोप से बचने के लिए भी हनुमान जी की पूजा-अर्चना की जाती है। हम सबने हनुमान जी के पंचमुखी रूप के दर्शन तो किए ही होंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं इस पंचमुखी रूप का राज़। इसके पीछे एक बहुत ही खास कथा जुड़ी जिसके बारे में आज हम आपको रूबरू करवाएंगे। तो चलिए जानते हैं उस पौराणिक कथा के बारे में। पौराणिक कथा के अनुसार लंका में जब राम और रावण की सेना के बीच भयंकर युद्ध चल रहा था। तभी रावण को लगा कि अब उसकी हार करीब है। तो उसने इस समस्या से उबरने के लिए अपने मायावी भाई अहिरावन को याद किया जोकि मां भवानी का परम भक्त होने के साथ-साथ तंत्र-मंत्र का बड़ा ज्ञानी था। जब वह युद्ध में आया तो उसने अपने माया से भगवान राम की सारी सेना को गहरी नींद में डाल दिया और राम व लक्ष्मण का अपरहण कर उन्हें पाताल लोक ले गया। कुछ समय बाद जब माया का प्रभाव कम हुआ तब विभिषण ये बात जान गया कि ये काम केवल अहिरावन का है। तभी उन्होंने हनुमान को श्री राम और लक्ष्मण की सहायता करने के लिए पाताल लोक जाने को कहा। पाताल लोक पहुंचने पर मुख्य द्वार पर उन्हें उनका पुत्र मकरध्वज मिला और युद्ध में उसे हराने के बाद बंधक बने श्री राम और लक्ष्मण मिले। लेकिन अचानक हनुमान जी की नजर वहां जल रहे पांच दीपक पर पड़ी जोकि पांच अलग-अलग दिशाओं में थे। उन दीपकों को अहिरावण ने मां भवानी के लिए जलाए थे। विभीषण ने बताया था कि अगर उन पांचों दीपक को एक साथ बुझा दें तो अहिरावन का वध हो जाएगा। इसलिए हनुमान जी ने पंचमुखी रूप धरा। उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण दिशा में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, आकाश की तरफ हयग्रीव मुख और पूर्व दिशा में हनुमान मुख। इस रूप ��ो धरकर उन्होंने वे पांचों दीप बुझाए और अहिरावण का वध कर राम, लक्ष्मण को उससे मुक्त किया। तभी से ही हनुमान जी का पंचमुख रूप प्रचलित हुआ है। https://www.instagram.com/p/CYGCfMerM6X/?utm_medium=tumblr
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जय श्री राम जी 🙏🙏🙏 जय श्री बजरंगबली जी🙏🙏 जय हनुमान जी जयंती का पर्व 27 अप्रैल 2021 को मनाया जाएगा! जय हनुमान जी की पूजा करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं! जिन लोगों पर जय शनिदेव जी की साढ़ेसताी और जय शनिदेव की ढैय्या चल रही है, उन्हें विशेष लाभ प्राप्त होता है! कोरोना संक्रमण से बचने का अति उपायें जी🙏🙏 जय श्री बजरंगबली जी की कृपा से सारे दुःख दूर होगें जरूर 🙏जय श्री हनुमान जी की पूजा करने के सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है ! जय श्री हनुमान जी को बुद्धि व विद्या का प्रतीक माना जाता है! जो सच्चे मन से पूजा करते हैं संकटमोचन सभी कष्ट हर लेते हैं! यह उपाय करें तो धन का संकट दूर हो सकता है! जय हनुमान जी🙏🙏🙏 जय श्री बजरंगबली जी 🙏🙏 निवेदक:- मैं० रांगडा़ जी स्टूडियो 98164-56587 https://www.instagram.com/p/COGWvJlAuA_/?igshid=1ojrvkszw0uar
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राशिफल आज 20 मार्च 2021: शनि देव आज कर्मों के हिसाब से खुशी और दुख, जानि��� कैसा रहेगा आपका शनिवार
राशिफल आज 20 मार्च 2021: शनि देव आज कर्मों के हिसाब से खुशी और दुख, जानिए कैसा रहेगा आपका शनिवार
आज सप्तमी तिथि पूर्ण रात्रि तक … आज वर्ष 2021 की 20 मार्च की तारीख को शनिवार शनिवार का दिन है। ज्योतिष में शनि को न्याय का देवता माना जाता है। शनि शरीर में नाभि के कारक माने गए हैं। जबकि कुंडली में उन्हें दंड के विधान के कारण दुख का कारक माना गया है। इनका रंग काला व रत्न नीलम है। इस दिन के कारक देव स्वयं शनिदेव माने गए है, वहीं इस दिन शनि को संचालित करने वाली देवी माता काले के अलावा हनुमान जी व…
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आप सभी को #श्री_शनि_जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ।। श्री सूर्यपुत्र शनिदेव भगवानजी व प्रभु श्री रामदूत हनुमान जी की कृपा आप सभी पर सदा ही बनीं रहें।। ।। जय श्री राम ।। ।। जय श्री हनुमान ।। ।। जय श्री शनिदेव ।। https://www.instagram.com/p/CeLLgDJJP09/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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बजरंगबली आदर्श जीवन के प्रेरणास्रोत है !
हनुमानजी भगवान शिव के 11वें अवतार माने जाते हैं। वानरदेव के रूप में वे इस धरती पर रामभक्ति और राम कार्य सिद्ध करने के लिए ही अवतरित हुए। कहते है अगर उनके आदर्शो को आत्सात किया जाएं तो जीवन में कोई बाधा नहीं आ सकती। साथ ही उनके भक्त राष्ट्र के निर्माण में भी उपयोगी योगदान कर सकते हैं। उनके आदर्श हमें सीख देते है कि केवल सामथ्र्य से ही जीत नहीं ���िलती, विनम्रता व बुद्धि से समस्त कार्य सुगमतापूर्वक किए जा सकते हैं।
हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी हैं। हनुमान जी हर बुरी श��्ति का नाश कर हर काम में आगे बढऩे में मदद करने वाले हैं। हनुमानजी भक्ति व शक्ति का संगम हैं जो भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। कहते है इस दिन मंदिर जाएं तो हनुमान जी को भसदूर, लड्डू और बूंदी का प्रसाद जरुर चढ़ाएं। केसरिया रंग के वस्त्र भी भगवान को अर्पण कर सकते हैं। सच्चे मन और पूरी श्रद्धा से सभी के लिए प्रार्थना करें। चूंकि हनुमान जी खुद श्रीराम के अनन्य भक्त थे तो आप श्रीराम की पूजा से भी उनको प्रसन्न कर सकते हैं।
पूजा करने से पहले एक बात विशेष रूप से ध्यान रखें कि पूजा साफ कपड़े पहनकर ही करें। पूजा स्थान में लाल वस्त्र बिछाकर तांबे की प्लेट पर लाल फूलों के बीच हनुमानजी की मूॢत को स्थापित करें। यमघट योग में हनुमान जी का पूजन करना विशेष फलदायक रहेगा। सवंत्सर के मंत्री शनि हैं। वहीं इन दिनों वृषभ व कन्या राशि पर ढैय्या शनि एवं वृश्चिक, धनु, मकर राशि पर शनि की साढ़े साती का प्रभाव चल रहा है। ऐसे में हनुमान जयंती के दिन शनिवार को शनि पर तेल चढ़ाने से ग्रह की शांति होगी। क्योंकि जब हनुमानजी ने शनिदेव को लंका से मुक्त कराया था तब सूर्यपुत्र शनिदेव ने हनुमानजी को वचन दिया था, कि आपकी भक्ति करने वालों की राशि में आकर भी वे कभी उन्हें पीड़ा नहीं पहुंचाएंगे।
शनि से पीडि़त हैं, तो करें हनुमानजी की आराधना
पौराणिक मतानुसार शनिवार का दिन शनि देव को समॢपत है। इस दिन रूठे हुए शनि को मनाने के लिए विशेष पूजन कर्म करने का महत्व है। ज्योतिषशास्त्र के मतानुसार व्यक्ति की कुंडली में शनि की स्थिति काफी अधिक महत्वपूर्ण होती है। शास्त्रों में ऐसा वर्णन आता है के शनि ग्रह को शांत करने के लिए हनुमान जी को प्रसन्न करना चाहिए। पौराणिक कथाओं के अनुसार हनुमान जी ने शनि देव का घमंड तोड़ा था तब शनि देव ने हनुमान जी को वचन दिया था के उनके भक्तों को वो कभी पीड़ा नहीं देंगे।
अत: सभी क्रूर ग्रह हनुमान जी के आगे कभी टिक नहीं सकते। लंकापति रावण ने सूर्यपुत्र शनिदेव को अपनी सभा में उल्टा लटकाकर बांध दिया था। जब हनुमानजी ने लंका दहन किया, तो वहं से शनिदेव को मुक्त कराया था। तब शनिदेव ने हनुमानजी को वचन दिया था कि आपकी भक्ति करने वालों की राशि में आकर भी वे कभी उन्हें पीड़ा नहीं पहुंचाएंगे। इसलिए जिन लोगों पर शनि की ढैय्या और साढ़े साती चल रही होती है, उन्हें हनुमान जी की विशेषरूप से पूजा करने को कहा जाता है।
सुंदरकांड से दूर होते हैं कष्ट
अष्ट सिद्धि और नौ निधियों को देने वाले हनुमानजी की संध्या के समय पूजा करना शुभ फलदायी होता है। हनुमान जयंती पर दक्षिणमुखी हनुमान मूॢत के सामने हनुमानजी के मंत्रों का जाप करना, हनुमान चालीसा, सुंदरकांड का पाठ करना शुभ फल देता है। रामरक्षा स्तोत्र तथा ��मस्त हनुमान मंत्र इस दिन सिद्ध होते हैं। पूजा ��ाली में सरसों के तेल का दिया जलाएं और धूप दीप और चावल अॢपत करें। भोग लगाने के लिए बूंदी का प्रसाद चढ़ाएं और प्रसाद को सभी में बांट दें। अतुलित बलधामं, हेमशैलाभदेहं। दनुजवनकृशानुं, ज्ञानिनामग्रगण्यम। सकलगुण निधानं, वानराणामधीशं। रघुपतिप्रिय भक्तं, वातजातं नमामि।। अर्थात् अतुल बल के धाम, सोने के पर्वत (सुमेरु) के समान कंतियुक्त शरीर वाले, दैत्य रूपी वन (को ध्वंस करने) के लिए अग्नि रूप, ज्ञानियों में अग्रगण्य, संपूर्ण गुणों के निधान, वानरों के स्वामी, श्री रघुनाथ जी के प्रिय भक्त पवनपुत्र श्री हनुमानजी को मैं प्रणाम करता हूं। हनुमान भक्तों को हनुमान जयंती व्रत के एक दिन पूर्व ही शाम को भोजन का त्याग कर देना चाहिए और पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान नाम का सुमिरण कर जमीन पर ही सोना चाहिए।
अगले दिन यानी हनुमान जयंती के दिन हनुमान जी की मूॢत पर भसदूर चढ़ाते समय यह मंत्र पढऩा चाहिए- ‘मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं। वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये।। भगवान शिव के ग्याहरवें रुद्र के रूप हनुमान, आज भी जहं रामचरित का गुणगान होता है, वहं मौजूद रहते हैं। इन्हें अणिमा, लघिमा, महिमा, गरिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व रूपी अष्ट-सिद्धियां प्राप्त थीं। हनुमान जी को लंका में देख कर सीता जी ने आशीर्वाद दिया था- ‘अजर अमर गुननिधि सुत होहू। करहुं बहुत रघुनायक छोहू।। हनुमत पुराण में हनुमान जी का नाम सुंदर बताया गया है। बाल्मीकि रामायण और तुलसी कृत रामचरितमानस में हनुमान जी की लीलाओं का गान सुंदर कंाड में संभवत: इसीलिए किया गया है। इस दिन सुंदर कांड का पाठ जरूर करना चाहिए।
विधि विधान से की पूजा तो पूरे होंगे हर काम
खास योग में कुछ उपाय करने से हनुमान जी की कृपा तो प्राप्त होगी साथ में शनिदेव की टेढ़ी नजर से भी बचाव होगा। एक दिन में राम भक्त और शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए करें ये काम-हनुमान जी के मंदिर जाएं और उन्हें केसरी रंग का चोला चढ़ाएं। बूंदी के लड्डू का भोग लगाएं। उनके श्री विग्रह के सामने बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ करें। हनुमान जी के मंदिर में चमेली के तेल का दीया अॢपत करें और शनि देव के मंदिर में सरसों के तेल का दिया। हनुमान जी को लौंग लगे मीठे पान का भोग लगाएं। शनि देव को तेल से बने भोज्य पदार्थ भोग लगाकर मेहनतकश मज��ूरों और गरीबों में बांट दें।
सिर से 8 बार नारियल वारकर हनुमान जी के चरणों में रखें। उड़द के दानों पर भसदूर लगाकर हनुमान जी पर अॢपत करें। इस दिन हनुमान जी को लाल गुलाब के फूलों की माला पहनाएं, साथ में केवड़े का इत्र उनके दोनों कंधों पर लगाएं। अब उनके स्वरूप के समक्ष बैठकर अपनी शक्ति के अनुसार इस मंत्र का जाप तुलसी की माला से करें। मंत्र- राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे। सहस्त्र नाम तत्तुन्यं राम नाम वरानने।। मंत्र जाप पूरा होने के बाद हनुमान जी के गले में पहनी गुलाब के फूलों की माला से 1 फूल निकाल कर लाल कपड़े में लपेट लें। उसे अपनी तिजोरी, गल्ले अथवा धन स्थान पर रखें। इससे आपके जीवन से आॢथक अभाव सदा के लिए समाप्त हो जाएगा।
तिजोरी में रखें चीज, धन-संपत्ति डबल होने लगेगी। तुलसी भगवान राम को बहुत प्रिय है, जो चीज श्रीराम को प्रिय है वो हनुमान जी को तो प्रिय होगी ही। अगर प्रतिदिन हनुमान जी को 2 पत्ते तुलसी के चढ़ाएं जाएं तो घर में कभी भी अन्न और धन का अभाव नहीं रहता। हनुमान जी को गुड़ चने, मधु-मुनक्का, बेसन के मोदक, केले का भोग बहुत प्रिय है। भोग देते समय उसमें तुलसी पत्र अवश्य दें। याद रखें जब भी हनुमान जी को कोई भी भोग अॢपत करें तो उसमें तुलसी अवश्य डालें तभी वह तृप्त हो पाएंगे। कहते है जिस स्थान पर हनुमान उपासना होती है वहं दुर्भाग्य, दारिद्रय, भूत-प्रेत का प्रकोप और असाध्य रोग, शारीरिक कष्ट कभी प्रवेश नहीं कर पाते। अगर पैसों की तंगी से जूझ रहे हैं तो पीपल के 11 पत्ते पर श्रीराम का नाम लिखें। रात में करें बजरंगबली की पूजा, पूरी होंगी सारी मनोकामनाएं।
हनुमान जी के 12 नाम
हनुमान, अंजनी सुत, वायु पुत्र, महाबल, रामेष्ठ, फाल्गुण सखा, भपगाक्ष, अमित विक्रम, उदधिक्रमण, सीता शोक विनाशन, लक्ष्मण प्राणदाता, दशग्रीव दर्पहा सुमिरण करने से किसी भी प्रकार का संकट समाप्त हो जाता है। साथ ही भगवान राम की भक्ति भी प्राप्त होती है।
रात की पूजा है फलदायी
भगवान राम के सबसे बड़े भक्त हनुमान जी हमेशा श्री राम की भक्ति में लीन रहते हैं सारा दिन प्रभु की सेवा में लगे रहते हैं। ऐसी मान्यता है कि रात के समय जब भगवान श्री राम विश्राम करते हैं, उस समय हनुमान जी की पूजा की जाए तो वो अपने भक्तों की पुकार अवश्य सुनते हैं। यदि आप हनुमान जी को प्रसन्न करना चाहते हैं तो रात में अवश्य हनुमान जी का पूजन करें। बजरंगबली अवश्य आपकी पुकार सुनेंगे। यदि आपके जीवन में किसी भी तरह की परेशानी है तो रात के समय हनुमान चालीसा का पाठ करें. यदि आप पाठ 9 बजे रात शुरू करते हैं तो हर दिन उसी वक्त करें. यानी पाठ करने ��ा समय ना बदलें।
अपना आसन भी एक ही रखें उसे भी ना बदलें. आप देखेंगे की 21 दिन लगातार पाठ करने के बाद आपकी समस्या हल होना शुरू हो जाएगी। यदि बच्चा आपका कहना नहीं मानता है तो प्रत्येक मंगलवार तथा शनिवार रात 8 बजे श्री हनुमान चालीसा का पाठ करें, कुछ ही दिन में बच्चे का स्वभाव बदलेगा और आपकी बात मानने लगेगा।
सावधानियां
हनुमान जी की पूजा उपासना करते समय साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें, आपके पूजा का स्थान साफ होना चाहिए। हनुमान जी की पूजा के बाद आरती अवश्य करें। हनुमान जी को बेसन से बनी मिठाई का भोग लगाएं। पूजा के स्थान पर शांति रहे, पूजा के दौरान टीवी ना चलाएं या कोई गीत, संगीत ना बजाएं। हनुमान जी का ऐसा चित्र अपने पूजा स्थान पर रखें, जिसमें श्री राम और लक्ष्मण दोनों हों।
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संध्या भक्ति - शनिदेव व हनुमान जी के भजन - Shanidev Hanuman Ji Ke Bhajan...
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🙏🙏🕉🌹🌹October 19 शुभ शनिवार :ॐ शं शनैचराय नमः, ॐ हं हनुमते नमः❣प्रेम से बोलो जय श्री राम, दोड़ के आएंगे हनुमान अगर कोई शनि की पीड़ा है तो उसे अवश्य दूर करेंगे श्री हनुमान ❣❣ हनुमानजी की पूजा से शांत रहते हैं शनिदेव... हनुमानजी की पूजा करने से दुख और भय दूर होते हैं और शनिदेव भी अपनी कृपा बनाए रखते हैं. शास्त्रों की मानें तो शनिदेव ने हनुमानजी को वचन दिया था कि जो इंसान उनका ध्यान करेगा उसकी वह हमेशा रक्षा करेंगे... हनुमानजी की पूजा से शांत रहते हैं शनिदेव... शनि पूजा का शुभ दिन है शनिवार हनुमानजी को बल, बुद्धि, विद्या, शौर्य और निर्भयता का प्रतीक माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार अगर किसी भी संकट या परेशानी में संकटकाल हनुमानजी को याद किया जाए तो वह उस विपदा को हर लेते हैं और इसी लिए संकटमोचन कहा गया है.🌹 शनिग्रह को शांत करने के लिए करें बजरंगबली की पूजा बजरंगबली ने शनि महाराज को कष्टों से मुक्त कराया था और उनकी रक्षा की थी इसलिए शनि देवता ने यह वचन दिया था हनुमानजी की उपासना करने वा���ों को वे कभी कष्ट नहीं देंगे. शनि या साढ़ेसाती की वजह से होने वाले कष्टों के निवारण हेतु हनुमानजी की आराधना करनी चाहिए.🌹 ऐसे करें हनुमानजी की पूजा बजरंगबली की पूजा से शनि का प्रकोप शांत होता है. सूर्य व मंगल के साथ शनि की शत्रुता व योगों के कारण उत्पन्न कष्ट भी दूर हो जाते हैं. हनुमान जयंती के अलावा मंगलवार-शनिवार हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए आदर्श दिन माने गए हैं. यह दोनों दिन उन्हें प्रिय हैं.🌹 क��से करें मंगलवार-शनिवार के दिन पूजा..... 🕉 - मंगलवार-शनिवार को सूर्योदय के समय नहाकर श्री हनुमते नमः मंत्र का जप करें. - मंगलवार-शनिवार को सुबह तांबे के लोटे में जल और सिंदूर मिश्रित कर श्री हनुमानजी को अर्पित करें. - लगातार दस मंगलवार-शनिवार तक श्री हनुमान को गुड़ का भोग लगाएं. - हर मंगलवार-शनिवार को श्री हनुमान चालीसा का पाठ करें. - 10 मंगलवार-शनिवार तक श्री हनुमान के मंदिर में जाकर केले का प्रसाद चढ़ाएं. - चमेली के तेल में सिंदूर मिलाकर श्री हनुमान को अर्पित करें. यह उपाय 3 मंगलवार-शनिवार के दिन करने से शीघ्र सफलता मिलती है. : 🌹🌹🕉🙏🙏 https://www.instagram.com/p/B3yA3ZQg7BR/?igshid=15ai7ep7ce3fa
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कुंडली आज 27 फरवरी 2021: आज शनिदेव आशीर्वाद के अलावा दंड देंगे? आपका शनिवार कैसा रहेगा
कुंडली आज 27 फरवरी 2021: आज शनिदेव आशीर्वाद के अलावा दंड देंगे? आपका शनिवार कैसा रहेगा
आज पूर्णिमा तिथि 01:46 बजे तक उसके बाद प्रतिपदा … आज वर्ष 2021 की तारीख 27 फरवरी को शनिवार शनिवार का दिन है। ज्योतिष में शनि को न्याय का देवता माना गया है। वहीं कुडली में इसे दंड के विधान के कारण दुख का कारक माना गया है। इनका रंग काला व रत्न नीलम है। इस दिन के कारक देव शनि देव हैं, वहीं इस दिन शनि को संचालित करने वाली देवी माता काले के अलावा हनुमान जी की पूजा का विधान है। आज का राशिफल: आज राशिफल…
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सुबह सुबह सुनें हनुमान जी व शनिदेव को प्रसन करने वाला भजन।
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संध्या भक्ति - शनिदेव व हनुमान जी के भजन - Shanidev Hanuman Ji Ke Bhajan...
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